Thursday, 5 July 2012

 रात में मैं एक आवाज़ 
                                 (ईरानी गायिका शुशा को सुनते हुए )
              
     (१)

कौन है जो बुलाता है
रह-रह कर ?

विस्मित हूँ  मैं
जैसे बार-बार
चौंक जाता है
एक छौना
जब हवा छू कर 
निकल जाती है 
सूखी हुई पत्तियों को

         (२)

सब कुछ छूटा-सा है यहाँ
जैसे छोड़ दी जाती है तट पर
टूटी हुई डोंगी एक ज़माने से  !

जबकि विचारों की
भींगी सतह पर
बूँदें चल रहीं हैं
बेसुध नींद में

(क्या मेरी ही नींद मुड़ी है उस तरफ ? )

            (३)

अपने आधे जीवन को
क्या पुकारती है कोई परेशान बुलबुल??
या बग़दाद की गलियों  में
किसी ने बजाई है नेह
मेरे लिए.......

किसकी है ये आवाज़
जो मल देती है  मेरी नींद पर
ठंढी रेत   !

या फिर वो एक आवाज़
कई आवाज़े हैं--------

किसी ठहरे हुए कारवाँ में
जलती हुई लकड़ियों को घेरे
जाती हुई शाम के गीत !!

या आषाढ़ के प्रारंभ में
खुले मैदानों में
एक साथ झुकी हुईं
कई औरतों की
सुनहरी प्रार्थनाएं !

        (४)
मेरे सिरहाने पर
एक जुगनू है
जिसके अन्दर
जलता-बुझता है
एक ठूठ पेड़ का
गंधहीन अवसाद
जिस पर बैठ कर
मैं अक्सर सोचा करता हूँ
सालों बाद के
अपने जीवन के बारे में
           (५)

लोगों ! मैं जानता हूँ की
आहिस्ता -आहिस्ता
मैं घूम रहा हूँ उजाले की ओर
जहाँ सबकुछ उलझ जाता है
फिर से
रोज़-ब-रोज़ 

पर अभी इस अन्धकार में
मैं और मेरे सामने बैठा  "मैं"
दोनों मिलकर
गलबहियां कर सकते हैं
अभी कुछ देर और
जब तक की
हमारे कानो तक मौजूद है
वो आवाज़ !

            (६)

मेरे बाल सफ़ेद हो रहे हैं
मेरे ही सामने
अक्स हवा होती जा रही है
जुगनू  ढीला पड़ रहा  है
और अब
पुकार लौट रही है
लम्बी पगडंडियों से होते
अपने देश ........
 
         (७)

रहस्य मैं ही हूँ 
पर अब चुप हूँ
सुन रहा हूँ
एक नयी आवाज़
मेरी ओर मुड़ती
नींद की !
                                   -------    सजल

© 2012 कापीराईट सजल आनंद


2 comments:

  1. रहस्य मैं ही हूँ
    पर अब चुप हूँ
    सुन रहा हूँ
    एक नयी आवाज़
    मेरी ओर मुड़ती
    नींद की !

    बहुत बहुत खूबसूरत !!

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  2. abhaar apka meeta ji....ye hauslaafazaai mere liye bahut maayne rakhta hai...

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