एक बात
वृक्षों की जड़ो की तरह
हमारे घरों की जड़ें-
धरती से जुड़ीं
वृक्ष का प्रिय अतिथि बादल
अपने दुनियावी घावों पर
मिट्टी का लेप लगा
सुस्ताता है उसकी जड़ों मैं
सच है की वृक्ष देता है
सबको कुछ न कुछ !
और हमारें घरों के अन्दर
हमें अब भी
जाने और कितने अजनबी
घावों से पहचान करनी है
हालाकिं
बिना किसी शर्त के
अपने घरों के अन्दर की
सारी यातनाएं हमें
स्वीकार होती हैं
यह जानते हुए भी
की हमारें घरों की
खिड़कियाँ,
दरवाजें ,
छतें ,
सीढ़ियाँ
सभी
मुह फाड़ें
मांगती रहती हैं
हरदम
हरसमय
कुछ न कुछ !
पर कभी-कभी
ऐसा भी हो जाता हैं
जब घरों की
दीवारों पर
कुछ पौधें
वृक्ष जैसे
पनप जातें हैं
उस समय जाने कौन
किसको सहारा
दे रहा होता है?
-- सजल
© 2012 कापीराईट सजल आनंद

वृक्षों की जड़ो की तरह
हमारे घरों की जड़ें-
धरती से जुड़ीं
वृक्ष का प्रिय अतिथि बादल
अपने दुनियावी घावों पर
मिट्टी का लेप लगा
सुस्ताता है उसकी जड़ों मैं
सच है की वृक्ष देता है
सबको कुछ न कुछ !
और हमारें घरों के अन्दर
हमें अब भी
जाने और कितने अजनबी
घावों से पहचान करनी है
हालाकिं
बिना किसी शर्त के
अपने घरों के अन्दर की
सारी यातनाएं हमें
स्वीकार होती हैं
यह जानते हुए भी
की हमारें घरों की
खिड़कियाँ,
दरवाजें ,
छतें ,
सीढ़ियाँ
सभी
मुह फाड़ें
मांगती रहती हैं
हरदम
हरसमय
कुछ न कुछ !
पर कभी-कभी
ऐसा भी हो जाता हैं
जब घरों की
दीवारों पर
कुछ पौधें
वृक्ष जैसे
पनप जातें हैं
उस समय जाने कौन
किसको सहारा
दे रहा होता है?
-- सजल
© 2012 कापीराईट सजल आनंद

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